“जहाँ बहाने खत्म होते हैं, वहीं से सफलता की शुरुआत होती है।”
🔹 प्रस्तावना (Introduction)
हर किसी के पास सपने होते हैं,
पर कुछ ही लोग उन्हें हकीकत बनाते हैं।
बाकी क्या करते हैं?
बहाने बनाते हैं।
कभी वक्त नहीं है,
कभी हालात नहीं,
कभी किस्मत नहीं —
पर सच्चाई ये है कि इरादे मज़बूत हों, तो रास्ते खुद बन जाते हैं।
🔹 Psychology कहती है – “Excuses = Self-Protection Mechanism”
Behavioural Science के अनुसार,
हमारा दिमाग “excuses” इसलिए बनाता है ताकि हम अपने comfort zone में रह सकें।
लेकिन यही zone हमें average बना देता है।
जब हम किसी काम को टालते हैं,
तो दिमाग में dopamine कम रिलीज़ होता है।
लेकिन जैसे ही हम action लेते हैं —
motivation और self-esteem दोनों बढ़ जाते हैं।
यानी, Action itself creates Motivation.
🔹 सफलता का असली मंत्र – "इरादा"
इरादा का मतलब सिर्फ सोचना नहीं,
बल्कि उस सोच को रोज़ जीना है।
👉 जब ठान लिया कि "मुझे ये करना ही है",
तो न वक्त रुकता है, न मुश्किलें।
“इरादे मजबूत हों तो मंज़िल झुक जाती है।”
🔹 बहाने बनाने की 3 आम वजहें
1️⃣ डर (Fear):
“अगर मैं फेल हो गया तो?” — ये डर शुरुआत को रोक देता है।2️⃣ लोग क्या कहेंगे:
दूसरों की राय हमारी दिशा तय कर देती है।3️⃣ Self-Doubt:
“मुझसे नहीं होगा” — यही सोच सबसे बड़ी रुकावट है।🔹 इन बहानों से बाहर निकलने के 5 आसान कदम
1️⃣ Action First, Motivation Later
पहले काम शुरू करें — motivation अपने आप आएगा।
2️⃣ 5-Minute Rule अपनाएँ
किसी भी काम को सिर्फ 5 मिनट करें।
एक बार शुरू करेंगे, तो रुकना मुश्किल होगा।
3️⃣ Self-Talk को बदलें
“मैं नहीं कर सकता” की जगह कहें — “मुझे करना है।”
4️⃣ Progress Track करें
हर दिन छोटे-छोटे कदम नोट करें — यही consistency बनाते हैं।
5️⃣ खुद को Responsible बनाइए
अगर आप अपने सपनों के लिए खुद जवाबदेह नहीं होंगे,
तो कोई और नहीं होगा।
🔹 Real-Life Example
Elon Musk, A.P.J. Abdul Kalam, या Mary Kom —
इन सबकी सफलता का राज़ एक ही था:
इरादा।
उन्होंने कभी बहाने नहीं बनाए,
उन्होंने बस शुरुआत की —
और दुनिया ने उनकी कहानी याद रखी।
🔹 विज्ञान की नज़र से
Stanford Research कहती है कि जब इंसान किसी चीज़ को “non-negotiable” बना देता है,
तो दिमाग का prefrontal cortex उस लक्ष्य को “must-do task” मानकर लगातार focus बनाए रखता है।
यानी जब इरादा पक्का हो,
तो दिमाग खुद रास्ता ढूंढ लेता है।
🔹 निष्कर्ष (Conclusion)
हर सुबह अपने आप से एक सवाल पूछो —
“क्या मैं आज अपने बहाने जीतने दूँगा, या अपना इरादा?”
“बहाने नहीं, इरादा चाहिए।”
क्योंकि सपने देखने वाले बहुत हैं,
लेकिन उन्हें जीने वाले वही हैं, जिनका इरादा अटूट है।
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